Saturday, May 22, 2021

Shares & Mutual Funds मुनाफे पर..... Income Tax कैसे लगता है

CA Yogesh Birla



पुरातन समय से कहावत चली रही है कि अपनी मासिक आय में से, भविष्य हेतु बचत करने के बाद ही, वर्तमान का खर्चा करना चाहिए, वही व्यक्ति सदैव सुखी रहता है इस बचत को हमलोग Share, Mutual Funds, Realestate, Gold आदि में Invest करते है, एवं जब उनको वापिस बेचते है, तो Income-tax लगता है बहुत बार लोगो को आयकर का ज्ञान नही होने से, वो बहुत कम मुनाफे पर शेयर्स बेच देते है, एवम फिर पता चलता है कि, जितना प्रॉफिट कमाया, उससे तो ज्यादा इनकम टैक्स भरना है अतः इन बातों का ध्यान रखें :-

शेयर बाजार में निवेश :-

Short Term Capital Gains :- यदि हम किसी शेयर को खरीदने के 12 महीने के भीतर ही बेच कर लाभ कमा लेते है, तो यह शार्ट टर्म केपिटल गेन कहलायेगा इस पर 15% की दर से आयकर लगेगा यदि आप शेयर को नुकसान में बेचते है, तो loss को अगले 8 साल तक carry forward करके भविष्य के profit से setoff किया जा सकता है

Long Term Capital Gains :- यदि हम किसी शेयर को खरीदने के 12 महीने के बाद बेच कर लाभ कमाते है, तो यह लांग-टर्म केपिटल गेन कहलायेगा यदि कुल मुनाफा 1 लाख रुपये से अधिक है, तो इस पर 10% की दर से आयकर लगेगा यदि आप शेयर को नुकसान में बेचते है, तो loss को अगले 8 साल तक carry forward करके भविष्य के सिर्फ Long term capital gains से ही setoff किया जा सकता है

Share Day Trading (without Delivery) :- यदि आप रोजाना शेयर खरीद बेच रहे है, परंतु डिलीवरी नही ले रहे है, तो यह आपकी सट्टे से होने वाली आय  (Speculative Profit) कहलाएगी। इस पर आपकी normal slab rate के हिसाब से ही आयकर लगेगा बेचने में यदि नुकसान हुआ है तो वह सिर्फ अगले 4 वर्षो तक carry forward किया जा सकता है एवं भविष्य में होने वाली सिर्फ Speculative income से ही setoff किया जा सकता है

म्यूचअल फण्ड में निवेश :-

Equity Mutual Funds :- यदि इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में किया गया निवेश, खरीद के 12 माह से कम में बेच दिया गया है तो मुनाफे पर 15% आयकर लगेगा यदि निवेश को खरीद के 12 माह से अधिक होल्ड करके बेचा गया है, तो मुनाफे पर  सिर्फ 10% आयकर ही लगेगा (यदि मुनाफा 1 लाख से कम है, तो यह आयकर मुक्त है)

Debt Mutual Funds :- यदि डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में किया गया निवेश, खरीद के 3 वर्ष के भीतर बेच दिया गया है, तो इस पर नार्मल आयकर स्लैब के हिसाब से ही आयकर लगेगा।  यदि निवेश को खरीद के 3 वर्ष से अधिक होल्ड करके बेचा गया है, तो मुनाफे पर 20% आयकर लगेगा (indexation का लाभ लेना ना भूले) यदि इस निवेश को बेचने से नुकसान हुआ है तो इसको अगले 8 वर्षो तक carry forward करके setoff किया जा सकता है

यदि निवेश करने के साथ ही साथ आप इस पर मिलने वाले डिविडेंड पर आयकर, खरीद बेचान के मुनाफे पर आयकर आदि का ध्यान रखेंगे, तो अपने निवेश पर अधिक मुनाफा कमा पाएंगे एवं अपने Investment Advisor / Broker से उचित मार्गदर्शन भी प्राप्त कर पाएंगे

contributed by :

CA Yogesh Birla
Director
Birla WP Management
read my blogs : www.YogeshBirlaCA.Blogspot.com


Sunday, May 16, 2021

RBI Loan Restructuring Plan 2.0 - लोन एवं EMI कोरोना राहत 2021

CA Yogesh Birla



पिछले वर्ष 2020 की तरह इस वर्ष भी कोरोना की दूसरी लहर से Loan की EMI भरने वालो को राहत देने हेतु Reserve Bank of India ने 6 मई 2021 को Restructuring Plan 2.0 के तहत, नई स्कीम की घोषणा की है ।

Restructuring Plan 2.0 में 25 करोड़ रुपए तक के व्यक्तिगत कर्जदार, छोटे कारोबार और MSME को राहत दी गई है। एक ही शर्त है कि 31 मार्च 2021 को Loan Account - Standard होना चाहिए……. यानी उसमें किसी तरह का Default नहीं होना चाहिए। इस प्लान के तहत कर्जदार को अपने बैंक से संपर्क करना होगा और वे दो साल तक का Moratorium ले सकेंगे। इसके लिए आवेदन करने की Last date 30 September, 2021 तय की गई है।

  •  यदि आप अपने लोन की EMI नहीं चुका पा रहे हैं तो 31 सितंबर 2021 तक अपने बैंक से संपर्क कर सकते हैं… Loan Restructuring option पर बात कर सकते हैं।   
  • बैंक आपकी बची हुई लोन राशि, आपके रीपेमेंट ट्रैक रिकॉर्ड, आपकी आय आदि को ध्यान में रखते हुए, आपका लोन रीस्ट्रक्चर कर सकता है।    
  • इसमें अधिकतम दो साल तक का EMI Holiday या Loan Repayment Period बढ़ाना शामिल है।     
  • जिन लोगों ने पिछले साल रीस्ट्रक्चरिंग का लाभ उठाया, वे भी नए मोरेटोरियम के तहत अपने लोन रीपेमेंट पीरियड को दो साल बढ़ा सकते हैं।

लेकिन, लोन रीस्ट्रक्चरिंग के लिए आवेदन देने से पहले इतना ध्यान रखें कि :

  • अगर आप बिना रीस्ट्रक्चरिंग के भी अपनी EMI को चुका सकते हैं तो रीपेमेंट पीरियड बढ़ाने या मोरेटोरियम की कतई सोचें।        
  • EMI हॉलीडे से लेकर रीपेमेंड पीरियड बढ़ाने तक का फैसला बैंक का होगा।·        
  • रीस्ट्रक्चरिंग प्लान की शर्तें बैंक तय करेगा। जब वह आपको योग्य समझेगा, तभी रीस्ट्रक्चरिंग प्लान को मंजूरी देगा।·        
  • रीस्ट्रक्चरिंग प्लान को अंतिम हथियार के तौर पर चुनें। यह स्थायी राहत नहीं है।·        
  • किसी भी मोरेटोरियम या रीपेमेंट पीरियड बढ़ाने का आवेदन करना आपके लिए महंगा साबित होगा क्योंकि इससे आपको अधिक ब्याज चुकाना होगा।·        
  • आप रीस्ट्रक्चरिंग प्लान ले रहे हैं तो पता कर लें कि आपको कितना ब्याज अतिरिक्त चुकाना होगा। उसे ध्यान में रखकर आप जल्द से जल्द उसका भुगतान करने की योजना बनाएं। इससे आपको अधिक ब्याज का भुगतान बैंकों को नहीं करना होगा।

अगर आपने Home Loan Restructuring कराया तो कितना ज्यादा ब्याज चुकाना होगा ???

  • अगर आप रीस्ट्रक्चरिंग का विकल्प चुनते हैं तो आपका रीपेमेंट पीरियड दो साल बढ़ जाएगा। यानी अगर 20 साल का लोन है तो 22 साल तक उसका रीपेमेंट करना होगा।·        
  • अगर ब्याज दर 8% ही रहती है तो 25 लाख रुपए के बकाया पर आपको approx 3 लाख और 50 लाख रुपए के बकाया पर 6 लाख रुपए additional interest चुकाना होगा।        
  • Interest Rate and Outstanding Amount के आधार पर आपके अकाउंट में लगने वाला Additional Interest कम या ज्यादा हो सकता है।·        
  • आपको यह भी देखना होगा कि बैंक आपको रीस्ट्रक्चरिंग के वक्त क्या ऑफर दे रहा है। यह ऑफर रीपेमेंट हिस्ट्री, क्रेडिट स्कोर और बकाया राशि के आधार पर हर कर्जदार के लिए अलग-अलग हो सकता है ।

निश्चित जानकारी हेतु अपने Bank या Loan देनेवाली संस्था से संपर्क करें।  यहाँ लिखित तथ्य, सिर्फ आपकी जानकारी हेतु है, यह किसी ऑफर या बाध्यता हेतु नही है ।

contributed by :

CA Yogesh Birla
Director
Birla WP Management
read my blogs : www.YogeshBirlaCA.Blogspot.com