Friday, May 7, 2021

वसीहत, उत्तराधिकार एवं कानूनी प्रक्रिया.......

व्यक्ति की वर्तमान सोच, हमेशा भविष्य की सुविधाओं हेतु होती है, परंतु वसीहत एवं उत्तराधिकार हेतु बहुत ही कम व्यक्ति भविष्योन्मुखी सोच रख पाते है कोरोना आपदा ने पिछले 1 वर्ष में यह सीखा दिया है कि कभी भी कुछ भी हो सकता है, एवं इस वक्त का सबसे जटिल कार्य है व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्तियों का बंटवारा एवं व्यवसाय का संचालन सामान्यतः यह देखा गया है कि, व्यक्ति जीवन मे इसीलिए धन कमाता है कि उसके बाद उसके परिवार-जन आसानी से जीवन व्यतीत कर सकें लेकिन अधिकांश मामलों में व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसका धन एवं संपत्ति, परिवारजनों के सुख के बजाय, दुख का कारण बन जाती है, एवं वसीहत नही होने के कारण आपसी मनमुटाव एवं रिश्तों के टूटने का कारण बनती है अतः हर समय यह मान कर कि आप मरने के बाद, दुख नही, सुख छोड़कर जाना चाहते है, तो कृपया करके कानूनी वसीहत अवश्य लिख कर जाए

वसीहत एक सादे कागज पर भी गवाहों की उपस्थिति में लिखी जा सकती है, एवं यदि इसको कानूनी रजिस्टर्ड करवा दिया जाए, तो इससे उत्तम कानूनी सुरक्षा कोई नही हो सकती अपने जीवनकाल में व्यक्ति जरूरत पड़ने पर अपनी वसीहत में परिवर्तन भी कर सकता है बहुत से व्यक्ति इस डर से वसीहत नही लिखते है कि, एक बार लिख दिया तो फिर बदल नही पाएंगे, इस डर से बाहर जाइये

बहुत ही जटिल कार्य है, प्रोपराइटर के निधन के बाद उसके व्यवसाय को कानूनी उत्तराधिकारी को सौंपना एक केस में यह देख गया कि पिता की मृत्यु हो गयी एवं उनकी कोई वसीहत नही थी तब उनके पुत्र को सलाह दी गयी कि बेटा, अब बहुत धीरज से काम लेना होगा सबसे पहले सरकारी मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाओ, क्योंकि वह हर जगह लगेगा (बैंक एकाउंट हेतु, GST बदलाव हेतु, आयकर बदलाव हेतु, शेयर डिमैट होल्डिंग हेतु, म्यूचअल फण्ड होल्डिंग हेतु, बिजली-पानी कनेक्शन बदलाव हेतु आदि) इसके बाद अपनी माता एवं बहनों से त्याग का विलेख (हकतरफनामा) बनवाओ एवं रजिस्टर्ड करवाओ, कि उन्हें कोई दिक्कत नही है कि पिता का व्यवसाय तुम चलाओ, एवं उनको कोई दिक्कत नही है कि पिता की कोई संपत्ति तुम बेचो आदि क्योंकि हिंदू संयुक्त परिवार में बहनों का भी कानूनन हिस्सा लगता है अब आपको जरूरतानुसार कोर्ट में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र हेतु याचिका लगानी पड़ेगी, जिसमे कोर्ट मृत्यु प्रमाण पत्र एवं हकतरफनामा विलेख को देख कर विचार करेगा एवं आपको दो समाचारपत्रों में जन सूचना प्रिंट करवानी पड़ेगी यदि किसी की आपत्ति नही आई, तो कोर्ट आपको सक्सेशन सर्टिफिकेट जारी कर देगा

ये सारी प्रक्रिया होने के बाद ही आप पिता के व्यवसाय को चलाने हेतु GST नंबर में परिवर्तन  करवा सकेंगे, एवं पुरानी GST क्रेडिट का लाभ ले सकेंगे।  इसी प्रकार आयकर विभाग भी आपके उत्तराधिकार को मानते हुए आपको आयकर रिफंड आदि जारी करेगा यदि गलती से भी किसी ने proprietor की फर्म को आने नाम कर दिया, तो Direct and Indirect Tax की बहुत Liability जायेगी।  जो Assets and Trading Stock फर्म में है, उनको Transfer नही मानकर Sale माना जायेगा, एवं Tax ले लिया जाएगा भविष्य में आप पुरानी फर्म की Goodwill या Debtors / Creditors के कोर्ट केस नही लड़ पाओगे।  अतः बिना वसीहत के व्यवसाय को आगे चलाने हेतु पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।

कोरोना के इस आपदा समय मे, सरकार से निवेदन है कि वसीहत की प्रक्रिया को Online and Digital कर दे, ताकि आम व्यक्ति, बिना घर से बाहर निकले अपनी वसीहत रजिस्टर्ड करवा सकें सभी से निवेदन है कि अपने जीवन काल मे ही संपत्तियों एवम व्यवसाय संबंधित वसीहत करके जाएं, एवं अपनी मृत्यु के पश्चात परिवारजनों हेतु सिर्फ सम्पन्नता एवं सुख छोड़कर जाएं, ना कि कानूनी लड़ाईया......... 

contributed by :
CA Yogesh Birla
Director
Birla WP Management
read my blogs : www.YogeshBirlaCA.Blogspot.com


6 comments:

  1. बहुत शानदार, सटीक और महत्वपूर्ण।

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  2. Thanks for sharing very important information in this covid era.

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