Tuesday, November 10, 2020

Analysis of web-movie Scam 1992 in Practical Life

पिछले कुछ दिनों से Scam 1992-The Harshad Mehta Story वेब सीरीज़ देख रहा था ! दिमाग में शेयर बाजार, स्टॉक मार्केट, बीएसई, बुल, बेयर, scam, पत्रकार, सीबीआई, सक्सेस और डाउनफॉल ही घूम रहे हैं। एकबारगी फ़िल्म ने सोचने पर मजबूर किया। मौटे तौर पर कुछ बातें समझ आईं। 

💥जब आप तरक्की करते हैं, उसी क्षेत्र में पहले से स्थापित लोगों की आपसे जलने लगती है। आपकी एक गलती उन्हें आपका शिकार करने का मौका देती है।

💥मुसीबत में आपके परिवार के अलावा आपके साथ कोई नहीं खड़ा होता।

💥कुछ अलग तरह के  साथी एक तरह से दुश्मन होते हैं, जो मौका लगते ही चौका लगाते हैं।

💥हर्षद को एक समय स्टॉक मार्केट का अमिताभ बच्चन कहा गया। पर जब वे एक बार फंसे, फंसते ही चले गए। 

💥जिन पर आपका भरोसा होता है, वे सिवाय तसल्ली या आशवासन के कुछ नहीं देते। 

💥आप कितने ही पैसे वाले क्यों न हों, जब समय विपरीत आता है, आपके घर की कील तक बिक जाती है।

💥माया और काया का कोई अभिमान नहीं होना चाहिए। जिस हर्षद ने लेक्सस कार को 10 लाख अतिरिक्त देकर खरीदा, वह अस्पताल में लकड़ी की बेंच पर दम तोड़ गया।

🎯और हां, दस रुपए से दस लाख बना लिए जाएं तो रुक जाना चाहिए। उसे फिर से दाव पर करोड़ नहीं रोड़ मिलती है। सबको प्रॉफिट बनाकर देने वाला मार्केट कभी वापस भी लेता है। लालच बुरी बला है।

💥बड़ा बनने के फेर में गलती सबसे होती है पर जो उस वक़्त उसे बड़ा बनने में मदद कर रहे होते हैं, बुरा वक़्त आते ही निकल लेते हैं। डूबते सूरज के साथ कोई डूबना नहीं चाहता। जब यही सूरज उग रहा होता है, उसकी चमक में जगमगाना सब चाहते हैं।

enjoy watching this movie..........

Written by :
CA Yogesh Birla
Director
Birla WP Management
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