Tuesday, November 10, 2020

हाउसिंग लोन पर ब्याज व् मूल ऋण पुनर्भुगतान पर आयकर छूट

आयकर अधिनियम के तहत हाउसिंग लोन पर ब्याज व् मूल ऋण पुनर्भुगतान पर आयकर छूट से सम्बंधित ध्यान रखने योग्य कुछ महत्वपूर्ण तथ्य  

ये सभी करदाताओं को पता है कि स्वयं के रहने के लिए काम में लिए जाने वाले घर की खरीद, निर्माण या रिपेयर पर लिए गए गृह ऋण पर आयकर अधिनियम के तहत ब्याज की छूट मिलती है लेकिन ये छूट क्लेम करते समय कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ध्यान नहीं रखने पर बाद में परेशानी का सामना करना पड सकता है जैसे:

1. कि जिस व्यक्ति द्वारा गृह ऋण के ब्याज या मूल भुगतान की छूट ली जा रही है, उस घर का रजिस्टर्ड मालिक होना अनिवार्य है, यदि कोई व्यक्ति घर का रजिस्टर्ड मालिक नहीं होने पर भी छूट क्लेम करता है तो पूर्णतः आयकर कानून के प्रावधानों के विपरीत है|

2. कि अक्सर लोन की पात्रता बढ़ने के लिए पति / पत्नी, भाई, माता, पिता वगैरह का नाम भी गृह ऋण में CO-BORROWER  के रूप में जोड़ दिया जाता है, लेकिन केवल CO-BORROWER  होने या उनके नाम से हाउसिंग लोन ब्याज व् पुनर्भुगतान का सर्टिफिकेट जारी होने के कारण कानूनन वो गृह ऋण पर ब्याज या मूल पुनर्भुगतान की छूट के लिए पात्र नहीं हो सकते| 

3. कि कई बार देखा जाता है कि मकान निर्माण हेतु लिए जाने वाले ऋण का उपयोग मकान निर्माण की बजाय अन्य व्यक्तिगत कार्यों हेतु कर लिया जाता है और बैंक के सर्टिफिकेट के आधार पर ब्याज व् मूल ऋण पुनर्भुगतान की छूट ले ली जाती है जो की कानूनन पूरी तरह गलत है | जांच के दौरान गलत छूट लेने का तथ्य साबित होने पर अधिक दर पर आयकर के साथ ही ब्याज व् पेनल्टी का भुगतान भी करना पड सकता है अतः अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट या कर सलाहकार से छूट की पात्रता की जांच करवाए बिना छूट लेना महँगा पड सकता है|

4. कि एक गृह ऋण पर ब्याज की छूट लेने हेतु एक अन्य अति महत्वपूर्ण आवश्यकता है कि रजिस्टर्ड मालिक द्वारा ऋण लेकर मकान खरीद या निर्माण या रिपेयर में उक्त ऋण राशि पूर्णतः उपयोग करने के बाद उक्त ऋण राशि का भुगतान भी उसके स्वयं के द्वारा किया जाना चाहिए जबकि कई मामलों में ये पाया जाता है कि CO-BORROWER  जो कि रजिस्टर्ड मालिक नहीं है, उसके द्वारा किये गए भुगतान पर भी रजिस्टर्ड मकान मालिक द्वारा छूट ले ली जाती है जो कि पूरी तरह अमान्य है और पकडे जाने पर अधिक दर से टैक्स व् ब्याज के अलावा पेनल्टी भी देय होगी|

5. कि आजकल गृह ऋण लेने के कुछ समय बाद बैंक/वित्तीय संस्थानों द्वारा टॉप-अप लोन स्वीकृत कर दिया जाता है जो कि किसी भी उपयोग में लिया जा सकता है उसे पहले से खरीदे गए या निर्मित्त मकान हेतु उपयोग लेने की बाध्यता नहीं होती, ऐसे सभी ऋण गृह ऋण की किसी भी प्रकार की छूट के लिए पात्र नहीं होते हैं बल्कि केवल उक्त टॉप-अप लोन को व्यापार में काम में लेकर व्यापारिक लाभ हानि खाते में उक्त ब्याज की छूट कानूनी रूप से ली जा सकती है|

6. कि मकान के सह-स्वामी (जॉइंट ओनरशिप) के मामलों में यदि ऋण सह-स्वामियों द्वारा एक साथ लिया गया है और निर्माण / खरीद में ऋण राशि उपयोग लेने के बाद पुनर्भुगतान सभी सह-स्वामियों द्वारा नहीं करके समस्त भुगतान किसी एक व्यक्ति के खाते से ही किया जा रहा है तो ऐसे मामलों में केवल उस व्यक्ति के मालिकाना हिस्से जितनी पुनर्भुगतान व ब्याज की राशि की छूट उक्त व्यक्ति द्वारा ली जा सकती है अन्य सह-स्वामी द्वारा भुगतान नहीं करने के कारण उन्हें छूट अमान्य होगी अतः सह स्वामियों के मामलों में सभी द्वारा छूट की पात्रता के लिये अपने अपने हिस्से की ऋण राशी का भुगतान स्वयं के खाते से करना चाहिए या फिर एक जॉइंट बैंक खाता खुलवाकर उसमें से भुगतान किया जाना चाहिए |

7. कि कुछ प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों के एजेंटों द्वारा पहले से बने हुए घरों पर लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी (LAP) की बजाय हाउसिंग लोन के रूप में ऋण स्वीकृत करवाया जाता है और उक्त ऋण राशि का उपयोग भी व्यापार या अन्य व्यक्तिगत प्रयोजनों हेतु किया जाता है जबकि सर्टिफिकेट हाउस लोन का जारी किया जाता है और कई करदाताओं द्वारा उक्त छूट का लाभ भी ले लिया जाता है जो कि कानूनन बिलकुल गलत है अतः इस सम्बन्ध में कर्दतों को जागरूक करके गलत छूट लेने से बचने की सलाह देना ही श्रेयस्कर है |

8. कि एक अति महत्वपूर्ण तथ्य है कि गृह ऋण पर ब्याज की छूट लेने के लिए ऋण केवल बैंक या वित्तीय संस्थानों से लेना ही अनिवार्य नहीं है वरन करदाता द्वारा अपने रिश्तेदारों, मित्रों या अन्य से ऋण लेकर उसका उपयोग मकान खरीद या निर्माण में करने पर उस पर दिए गए ब्याज की गृह ऋण पर ब्याज के रूप में छूट ली जा सकती है परन्तु ऐसे ऋण के पुनर्भुगतान पर छूट उपलब्ध नहीं है|         

गृह ऋण पर ब्याज व् पुनर्भुगतान राशि की छूट आयकर बचाने का एक अत्यंत ही कारगर उपाय है अतः कभी भी घर की खरीद या निर्माण हेतु भूखंड की खरीद से पूर्व अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट / कर सलाहकार से उचित कानूनी सलाह लेकर ही भूखंड या मकान के रजिस्टर्ड मालिक के विषय में निर्णय लें और दीर्घ अवधि तक कानूनी रूप से गृह ऋण पर ब्याज व् पुनर्भुगतान राशि की आयकर में छूट का लाभ लें।

Written by :
CA Yogesh Birla
Director
Birla WP Management
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